ईर्ष्या से स्वयं का सुख नष्ट होता है।

-ः ललित गर्ग- यह बड़ा सत्य है कि स्वार्थी एवं संकीर्ण समाज कभी सुखी नहीं बन सकता। इसलिए दूसरों का

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