(पूजा स्थलों के लिए झगड़े) भारत में धार्मिक स्थलों पर चल रहे विवाद, विशेष रूप से ऐतिहासिक धर्मांतरण के दावों…

नई दिल्ली, 24 नवंबर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने रविवार को कहा कि चार विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनावों…

देवेन्द्र फडणवीस पार्षद से लेकर नागपुर के सबसे युवा महापौर और फिर महाराष्ट्र के भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बनने तक……

भाजपा की जीत से भाजपा में जश्न का माहौल, प्रदेश कार्यालय मंगल कमल में कार्यकर्ता ढोल की थाप पर जमकर…

सामयिक व्यंग्य : एग्जिट पोल नईदिल्ली:शनिवार को महाराष्ट्र और झारखंड के साथ पांच राज्यों में हुए उपचुनाव का परिणाम घोषित होगा। दोपहर तक लगभग स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। दोनों चरणों को मिलाकर कुल 417 सीटों के नतीजों पर देशभर की नजर रहेगी।मतदान सम्पन्न होते ही ‘बाबाजी’ की डुगडुगी (एग्जिट पोल) भी बज गई है। पिछले कुछ चुनावों में वैसे तो बाबाजी की बातें कम ही सार्थक सिद्ध हुई है। फिर भी मनोरंजन मात्र के रूप में कहीं खुशी कहीं ग़म के माहौल को क्रिएट करने में इनका पूरा रोल रहता है।   भिन्न-भिन्न पंथ वाले बाबाओं ने अपने अपने हिसाब से संभावनाओं का आंकलन जनता के सामने पेश किया है। बाबा जी ने दोनों स्थानों पर अपने-अपने हिसाब से सरकारें भी तय कर दी है। ज्यादातर बाबाओं की माने तो महाराष्ट्र में भाजपा युक्त महायुति गठबंधन की सरकार बनती दिख रही है। दूसरी तरफ झारखंड में भी भाजपा युक्त एनडीए गठबंधन की सरकार बन सकती है। बाबाजी का आंकलन ठीक रहा तो महाराष्ट्र में सरकार रिपीट हो सकती है तो झारखंड में भाजपा गठबंधन की वापसी। शेष बाबाजी इसके विपरीत बता रहे हैं। उनका मानना है कि परिणाम चौंकाने वाला होगा।     वैसे तो देखा जाये तो बाबा जी हमेशा बताते तो संभावना ही है, पर हमारे जैसे अल्पज्ञानी उनकी बातों को कुछ और ही समझ जाते हैं। हरियाणा के प्रसिद्ध सूर्य कवि पंडित लखमीचंद ने अपने ‘पिंगला भर्तृहरि‘ के किस्से में बड़ी अच्छी दो पंक्तियां लिखी थी। जो इन बाबाओं के आंकलन और हमारा उन पर विश्वास किए जाने पर चरितार्थ होती है। उन्होंने लिखा था –     किसने देख्या स्वर्ग भरथरी , आपा मरे बिना    क्यूंकर आज्या सब्र आदमी कै, पेटा भरे बिना। सीधा सा भाव है कि जब तक सही रूप में सामने कुछ न आ जाए तब तक उस पर विश्वास किया जाना उचित नहीं है। दावे तो कितने ही किसी से करवा लो। इनकी कोई लंबी उम्र थोड़े ही होती है। जैसे ही पोल खुलती है, दावे हवा हो जाते हैं। वैसे भी आपको कुछ बताने की जरूरत नहीं। समझदारी में कोई आपसे आगे थोड़े ही हो सकता है। फिर भी स्मरण तो करा ही सकते हैं। ईश्वर से सीधे साक्षात्कार करवाने वाले कई बाबाओं के प्रवचन आप और हम जैसे लाखों-करोड़ों लोगों ने बड़े ही भक्तिमय और तन्मय भाव से सुने हैं। जिस हिसाब से वो अपनी ओजवाणी में निष्काम कर्म और परमात्मा की बात करते हैं। लगता है कि परमात्मा से सीधे रूप में हमारा कोई साक्षात्कार करा सकता है तो वे ही है। ऐसे ही कुछ बाबाओं के उदाहरण हमारे सामने हैं। जिनके माध्यम से हम परमात्मा से मिलन करना चाह रहे थे, वे व्यक्ति वैशिष्क कर्म कर शांतिमयी अनन्त साधना के लिए सुधारगृहों में जा बैठे हैं। अब कर लो साक्षात् मिलन।  अब बात इन बाबाओं (एग्जिट पोल वाले) के दावों की कर लो। इन पर जरूरत से ज्यादा भरोसा जानलेवा साबित हो सकता है। दूर क्यों जाएं बात डेढ़ माह पहले हरियाणा में हुए चुनावों की कर लें। सारे के सारे बाबाजी जलेबिया बंटवा रहे थे। इनके कहने पर बड़े बड़े बैंक्विट हाल बुक हो गए थे। ढोल नगाड़े, बैंड बाजे, भव्य सुसज्जित रथ, शाही पकवान। सब तैयार करवा लिए थे। बस इंतजार दुल्हन रूपी जीत का था। गाजे बाजे के साथ बारात ‘ दुल्हन हम ले जायेंगे ‘ गीत गाती चल पड़ी। रास्ते में ही सूचना उल्टी मिल गई। दुल्हन तो चुपके से दूसरे दूल्हे का वरण कर गई। सारी की सारी जलेबियां धरी की धरी रह गई।    माहौल को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों ने इस बार एडवाइजरी