अरविन्द क्रांतिकारी ,योगी
- भारत वह देश है, जहां वेद का आदिघोष हुआ, युद्ध के मैदान में भी गीता गाई गयी, वहीं कपिल, कणाद, गौतम आदि ऋषि-मुनियों ने अवतरित होकर मानव जाति को अंधकार से प्रकाश पथ पर अग्रसर किया।
यह देश योग दर्शन के महान आचार्य पतंजलि का देश है, जिन्होंने पतंजलि योगसूत्र रचा। हमने हर संस्कृति से सीखा, हर संस्कृति को सिखाया। हमारा प्रेम, हमारी आजादी, हमारी संवदेनाएं, हमारी आकांक्षाएं, हमारे सपने, हमारा जीवन सबकुछ जब दांव पर लगा था तब एक हवा का तेज झोंका आया और हम सब के लिये एक संकल्प, एक आश्वासन एवं एक विश्वास बन गया। जिन्होंने न केवल हमें आजादी का स्वाद चखाया बल्कि हमारे जीवन का रहस्य भी उद्घाटित किया।
एक अमृत पुत्र एवं महान क्रांतिकारी के रूप में जिनकी पहचान हैं महर्षि अरविन्द। जेल की सलाखों के पिछे भगवान् श्रीकृष्ण की गहन साधना एवं साक्षात्कार ने जिन्हें एक महान् क्रांतिकारी से योगी एवं दार्शनिक बना दिया था।
एक विचारक के रूप में अरविन्द की विशेषता यह है कि उनका राष्ट्रवाद, पारस्परिक राष्ट्रवाद से भिन्न था। उन्होंने राष्ट्रवाद की नई और मौलिक व्याख्या की। उन्होंने कहा कि भारत केवल एक देश ही नहीं है। यह हमारी माँ है, देवी है। इसकी मुक्ति का प्रयास करना हमारा धर्म है।
श्री अरविन्द ने राष्ट्र को एक दैविक रूप प्रदान कर आध्यात्मिक राष्ट्रवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इससे राष्ट्रवाद अधिक प्रखर एवं सात्विक बन गया। डॉ. कर्णसिंह के अनुसार- ‘अरविन्द भारतीय राष्ट्रवाद के मसीहा थे।’ श्री अरविन्द ने भारतीय दर्शन के साथ-साथ विश्व के श्रेष्ठतम राजनीतिक व दार्शनिक साहित्य का अध्ययन किया था। वे विश्व के श्रेष्ठतम दार्शनिकों में से थे। उन्होंने राष्ट्रवाद को नया रूप दिया और उसे अन्तर्राष्ट्रीयता एवं विश्व बन्धुत्व के मार्ग का एक माध्यम माना।