आचार्य लोकेशजी G20 अंतरधार्मिक बैठक का उदघाटन कर जलवायु परिवर्तन विषय पर संबोधित करेंगे
MIT वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी में G20 बैठक में भाग लेने हेतु आचार्य लोकेशजी पुणे रवाना हुए
पुणे, 05.09.2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर, G20 के अंतर्गत देशभर में अलग अलग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। इसी के अंतर्गत 5-7 सितम्बर, 2023 को MIT वर्ल्ड पीस युनिवेर्सिटी द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय G20 अंतरधार्मिक सम्मेलन के उदघाटन सत्र में विश्व शांतिदूत प्रख्यात जैन आचार्य डॉ लोकेशजी भाग लेने के लिए पुणे रवाना हो गए है जहां आचार्याश्री जलवायु परिवर्तन विषय पर विश्वभर से आए महानुभावों को संबोधित भी करेंगे।
अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केंद्र के संस्थापक आचार्य डॉ लोकेशजी ने कहा कि भारत में पूरे वर्ष G20 के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। इसी शृंखला के अंतर्गत MIT वर्ल्ड पीस युनिवेर्सिटी द्वारा भी यह त्रिदिवसीय अंतरधार्मिक बैठक के आयोजन का भी विशेष महत्व है। जहां एक ओर ग्रुप 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय बैठक को संबोधित करेंगे, तो वहीं दूसरी ओर G20 अंतरधार्मिक सम्मेलन में विश्वभर से समागत विभिन्न धर्मों के प्रमुख प्रतिनिधियों एवं संस्थानों में माननीय एल्डर डी. टॉड क्रिस्टोफरसन, यूएसए से माननीय किंग हुसैन, साल्ट लेक सिटी, यूएसए से माननीय डॉ. अशोक जोशी, माननीय डॉ. एडिसन समराज, माननीय जयकर राव गुट्टी, माननीय नित्यकुमार सुंदरराज, यूएसए से माननीय डॉ. ब्रायन ग्रिम, यूएसए से माननीय डब्ल्यू. कोल डरहम, साल्ट लेक सिटी, यूएसए से माननीय रोनाल्ड सी. गुनेल, बहाई अकादमी पंचगनी से माननीय डॉ. लेसन आज़ादी, माननीय डॉ. शहाबुद्दीन पठान, पंडित वसंत गाडगिल, राहुल भंते बोधि, फादर फेलिक्स ए मचाडो, डॉ. इसाक मालेकर, डॉ. लेसन आज़ादी, श्री. हरप्रीत सिंह, माननीय संत बाबा बलविंदर सिंह जी, हज़रत रिफ़िया साहब, डेम. डॉ. प्रो. मेहर मास्टर मूस,श्री. इमाम उमेर अहमद इलियासी आदि भी पुणे में विश्व में जलवायु परवर्तन से लेकर समाज कल्याण सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दो पर विशेष रूप से चर्चा करेंगे।
आचार्य लोकेशजी इस G20 अंतरधार्मिक सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन विषय पर संबोधित करेंगे जिसके लिए उन्होने कहा कि “आजकल के समय में, जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती है और हम सभी को इसके साथ निपटने की जरूरत है। यह न केवल एक विज्ञानिक मुद्दा है, बल्कि यह हमारे भूतिक और आध्यात्मिक जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित कर रहा है। हमें सभी देशों को इस समस्या का समाधान ढूंढने में सहयोग करना होगा, और G20 के रूप में हमारी साझा प्रतिबद्धता होनी चाहिए।”
त्रिदिवसीय ‘विज्ञान, धर्म और दर्शन की 9वीं विश्व संसद’ के विशेष सत्र को विश्व शांतिदूत आचार्य डॉ लोकेशजी ने संबोधित किया। यह संसद मानव जाति की भलाई के लिए विज्ञान, धर्म और दर्शन के एकीकरण पर आधारित है। इस अवसर पर, संस्कृत विद्वान पंडित वसंत गदगिल, मौलाना आज़ाद उर्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ फिरोज बख़्त अहमद, आर्चबिशप फेलिक्स मचाड़ो, बौद्ध बिक्खु संघसेना, डॉ लेसोन आज़ादी, करणसिंह छबरवाल ने भी संबोधित किया जहां काफी संख्या में लोग उपस्थित थे.
आचार्य लोकेश ने विज्ञान, धर्म और दर्शन की 9वीं विश्व संसद’ के सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक आस्थाशील देश है, यहाँ की आबादी किसी न किसी धर्म में आस्था रखती है . उन्होने कहा कि यहाँ प्रतिदिन करोडो लोग मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा आदि जाते है .ऐसे में अगर धर्म गुरु सही दिशा निर्देश दे तो बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है . पर्यावरण प्रदूषण और वैचारिक प्रदूषण दोनों ही खतरनाक है, इन दोनों को ख़त्म करने के लिए धर्म गुरु अहम भूमिका निभा सकते है .जो कार्य सरकार करोड़ो रूपए खर्च कर नहीं कर सकती वो धर्म गुरु सहजता से कर सकते है .आचार्याश्री ने कहा कि धर्म का विकास, शांति और सद्भावना से गहरा संबंध है, धर्म जहाँ एक ओर समाज को संगठित करता है वही विकास व समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करता है .
मौलाना आज़ाद उर्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ फिरोज बख़्त अहमद ने कहा कि सभी धर्म और सम्प्रदाय मानवता की शिक्षा देते है | आज के युवाओं को सही दिशा दिखाना आवश्यक है | उन्हें देश हित के लिए काम करने की दिशा में प्रेरित करना आवश्यक है | हिंसा के मार्ग पर चलने से न उनका भला होगा, न समाज का और न राष्ट्र का |
डॉ लेसोन आज़ादी ने कहा कि सभी को देश-दुनिया में अमन एवं शांति का संदेश देना चाहिए जिससे मनुष्य धर्म, जाति व समाज के आपसी मतभेदों से ऊपर उठकर एकजुटता एवं मानवता के आधार पर एक-दूसरे के साथ हर परिस्थिति में सदैव खड़े रहे।
आर्चबिशप फेलिक्स मचाड़ो कि ध्यान एवं योग अपने दैनिक जीवन मे अपनाना बेहद आवश्यक है | इससे जहां अनेक बीमारियों से मुक्ति पाई जा सकती है वही व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में संतोष, सौहार्द एवं शांति आती है |
बिक्खु संघसेना ने कहा कि बौद्ध धर्म में मैत्री, करुणा, मुदिता और उपेक्षा के संदेशों से हमे अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक होने, जाति एवं भेदभाव में विभाजित न होकर संगठित रहने, दूसरों के प्रति मित्रता का भाव रखने, दूसरों से ईर्ष्या न करने आदि का संदेश मिलता है जो विश्व शांति की ओर महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
करणसिंह छबरवाल ने कहा कि धर्म हमे जोड़ना सिखाता है तोड़ना नहीं इसको आत्मसात करने से ही भारत की बहुलतावादी संस्कृति और वसुदेव कुटुंबकम के सिधान्त के माध्यम से हम विश्व शांति और सद्भावना को प्राप्त कर सकेंगे।