मोदी सरकार से डबल गेम..?
रूस ने पाकिस्तान को गुपचुप तरीके से सुपरकैम S350 ड्रोन बेचा है। इसका खुलासा S350 ड्रोन बनाने वाली कंपनी ने खुद किया है। पाकिस्तान इस ड्रोन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ जासूसी करने में कर रहा है। इससे रूस की नीयत पर शक पैदा हो गया है। रूस ने कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
रूस पर क्यों हो रहा धोखेबाजी का शक
इस साल जुलाई की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिमी देशों के विरोध के बावजूद रूस की यात्रा की थी। इस दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गले मिलते एक तस्वीर भी खूब वायरल हुई थी। अमेरिका, यूक्रेन समेत कई पश्चिमी देशों ने पुतिन के गले मिलने को लेकर भारत की आलोचना भी की थी। हालांकि, इस दौरान एक और तस्वीर सामने आई थी, जिसमें रूसी रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक करते नजर आए थे। इस बैठक को भी भारत के लिए खतरा बताया गया था, क्योंकि पारंपरिक रूप से पाकिस्तान और रूस के बीच सैन्य गठबंधन नहीं है।
सुपरकैम ड्रोन कितना खतरनाक
सुपरकैम एस-250 को इसकी सामरिक और तकनीकी श्रेष्ठता के लिए जाना जाता है। यह ड्रोन चुनौतीपूर्ण मौसम में भी तीन घंटे तक उड़ान भर सकता है और हाई क्वालिटी की वीडियो भेज सकता है। इसका इस्तेमाल सुरक्षा, जासूसी, मैप के निर्माण और आपराधिक गतिविधियों का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है। अमेरिकी सरकार की वेबसाइट ने रूसी सुपरकैम एस-250 को दुनिया के टॉप ड्रोन में शामिल किया है, जो इसके ऑपरेशनल परफॉर्मेंस, विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को प्रदर्शित करता है।
यूक्रेन युद्ध में सुपरकैम ड्रोन का जलवा
रूस ने यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष में सुपरकैम ड्रोन की तैनाती में उल्लेखनीय वृद्धि की है। 30 जुलाई को, रोस्टेक के सीईओ सर्गेई चेमेजोव ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सुपरकैम यूएवी तकनीक में प्रगति के बारे में जानकारी दी। चेमेजोव ने बताया कि सुपरकैम ड्रोन अब टोही और कामिकेज दोनों वेरिएंट्स में उपलब्ध है। इन ड्रोन का उत्पादन तेज़ से हुआ है। सिर्फ पांच महीनों में 30,000 वर्ग मीटर में फैली एक नई मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी को स्थापित किया गया है। सुपरकैम ड्रोन युद्ध के मैदान में अपना महत्व साबित कर रहे हैं, खासकर जब हॉवित्जर के साथ मिलकर इस्तेमाल किया जाता है। यूक्रेन युद्ध में, रूसी ऑपरेटर यूक्रेनी फायरिंग पोजिशन और फील्ड डिपो का प्रभावी ढंग से पता लगा सकते हैं और उन्हें बेअसर कर सकते हैं।