सुशील कुमार ‘ नवीन ‘
Hariyana : पिछले माह सम्पन्न हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और चुनावआयोग के बीच ‘वाक युद्ध‘ जारी है। 8 अक्टूबर चुनाव परिणाम वाले दिन सेशुरू आरोप–प्रत्यारोप का यह दौर अभी और लंबा चलने की उम्मीद है।आपस में चिट्ठी–पत्री का प्रेषक और प्रेषण बदस्तूर जारी है। आयोग सेव्यक्तिगत मुलाकात के साथ–साथ कांग्रेस अपनी शिकायतों का एक बड़ापुलिंदा आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर चुकी है। जवाब में आयोग ने कुल 1642 पन्नों का जो बंडल कांग्रेस को भेजा है, उसने तो और बवाल कर दिया है।आयोग के जवाब की भाषा पर ही कांग्रेस ने सवाल उठा दिए है। साफ कहभी दिया कि यही भाषा है तो कानून का विकल्प भी है हमारे पास।
आयोग शुरू से ही चुनाव से संबंधित कांग्रेस के आरोपों से नाराज है।सर्वप्रथम परिणाम वाले दिन ही कांग्रेस ने चुनाव आयोग के समक्ष हरियाणाचुनाव के नतीजों को वेबसाइट पर अपडेट करने में जानबूझकर देरी का मुद्दाउठाया। साथ ही अधिकारियों को सटीक आंकड़े अपडेट करने का निर्देश देनेका आग्रह किया। जवाब में आयोग ने चुनाव के नतीजों को अपडेट करने मेंदेरी के आरोपों को ‘बेबुनियाद ‘ करार दिया। साथ ही आयोग ने इन आरोपोंको ‘गैर–जिम्मेदार, निराधार और अपुष्ट दुर्भावनापूर्ण आख्यानों को गुप्त रूपसे विश्वसनीयता प्रदान करने का प्रयास भी करार दिया।
बात यही पर समाप्त नहीं हुई। परिणाम के बाद कांग्रेस ने हरियाणा चुनावमें ईवीएम की गड़बड़ी का दावा करते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की।कांग्रेस के अनुसार मतगणना के दौरान गड़बड़ी पाई गई है। व्यक्तिगतमुलाकात के साथ इनकी सूची भी चुनाव आयोग को भेजी गई। कुल आठपृष्ठों के पत्र में कांग्रेस ने हरियाणा की 26 विधानसभा सीटों के कुछ मतदानकेंद्रों पर गिनती के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के ‘कंट्रोलयूनिट‘ पर बैटरी का स्तर 99 फीसदी दिखने पर सवाल उठाए और इस बारे मेंस्पष्टीकरण मांगा। इस पर चुनाव आयोग ने हरियाणा चुनाव में किसी भीतरह की अनियमितता के कांग्रेस के आरोपों को निराधार, गलत औरतथ्यहीन बताकर खारिज कर दिया। यही नहीं आयोग ने पार्टी को चुनाव दरचुनाव निराधार आरोपों से दूर रहने के लिए भी लिख दिया। यहां तक कहाकि देश की सबसे पुरानी पार्टी को बिना किसी सबूत के चुनावी कार्यों परआदतन हमलों से बचना चाहिये।
अब चुनाव आयोग के 1642 पन्नों के जवाब का कांग्रेस ने तीन पन्नों मेंपलटवार किया है। कांग्रेस के अनुसार आयोग ने शिकायतों पर ठोस जवाबदेने की बजाय खुद को क्लीन चिट देने की कोशिश की। पत्र की भाषा पर भीआपत्ति जाहिर करते हुए कहा गया है कि कांग्रेस ने तथ्यों के साथशिकायत दी थी, लेकिन आयोग ने इन शिकायतों का सामान्य जवाब देकरशिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता को ही निशाना बनाने का काम किया।
देखा जाए तो कांग्रेस का दर्द वाजिब है। चोट मारकर तो सहलाया जाताहै, चोट और थोड़ी मारी जाती है। हाथ की चोट को भुलाने के लिए भला पैरपर चोट मारना कहां तक वाजिब है। शिकायत करना कांग्रेस का वाजिब है।सामने रखी पकवानों की थाली पलक झपकने के दौरान कोई उठा ले जायेतो क्या बोले भी नहीं। इस पर आयोग भी जले पर नमक छिड़कने वाला कामकर रहा है। भला ये भी कोई जवाब है कि आपका आरोप ‘बेबुनियाद ‘ है।‘गैर–जिम्मेदार‘ है, ‘निराधार’ है। और तो और ये कहना कि आरोप ‘ अपुष्टदुर्भावनापूर्ण आख्यानों को गुप्त रूप से विश्वसनीयता प्रदान करने का प्रयासहै’।
पुरानी कहावत है कि दर्द समय के साथ जाता है। उसे जितना ज्यादा कुरेदाजायेगा वो घटने की बजाए बढ़ता ही जाएगा। हरियाणा का 8 अक्टूबर काचुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए इतना सहज भूले जाने वाला दर्द नहीं है। इसेभूलने के लिए समय की जरूरत है। आयोग को चाहिए कि वो इसके लिएकांग्रेस को समय दें। आयोग घर के बुजुर्ग की तरह है और कांग्रेस को घर काछोटा बच्चा मानिए। बच्चा अपनी शिकायत लेकर बुजुर्ग के पास तो जायेगाही। आयोग रूपी बुजुर्ग को चाहिए कि वो कांग्रेस की हर शिकायत को बड़ीही शालीनता और नरमाई से सुने। पांच–सात बार उन्हें बुलाकर सारी बातेंफिर सुनें। शिकायतें सुनते समय हाव भाव बिल्कुल गंभीर रखें। हर बार जांचमें सौ फीसदी सहयोग का आश्वाशन देना कतई न भूलें। और इसे अगलेकिसी चुनाव तक लगातार जारी रखे। देखना दर्द बिना किसी दवा के अपनेआप कम हो जाएगा। दीप्ति मिश्र की इन पंक्तियों के साथ यही उम्मीद है किआयोग और कांग्रेस का वाक युद्ध किसी सार्थक परिणाम तक पहुंचेगा।
‘ दुखती रग पर उँगली रखकर, पूछ रहे हो कैसी हो?
तुमसे ये उम्मीद नहीं थी, दुनिया चाहे जैसी हो।’