बीते साल की कुछ ऐसी स्मृतियां जो संजोकर रखना चाहेंगे, कुछ ऐसी भी, जो हमें वर्षों तक सालती रहेंगी”
एक और वर्ष इतिहास के पन्नों में सिमट रहा है। हर साल की तरह 2022 भी कुछ ऐसी यादें छोड़ कर जा रहा है जिन्हें हम हमेशा स्मृतियों में संजोकर रखना चाहेंगे, और कुछ ऐसी भी, जो हमें वर्षों तक सालती रहेंगी। यह साल इसलिए खास रहा कि दो वर्षों तक कोरोना वायरस से जूझने के बाद दुनिया पटरी पर लौटती दिखी। लंबे समय तक कोविड-19 जैसी भयावह महामारी ने मौत का जो तांडव मचाया, उससे पूरे विश्व में दुख, खौफ और अनिश्चितता का माहौल बना, लेकिन जीत आखिरकार इनसानी जज्बे की हुई। कोरोना के खिलाफ लड़ाई ने विश्व को एकजुट किया और एक बार फिर साबित किया कि बड़े से बड़े खतरे को मिलकर ही चुनौती दी जा सकती है। साल खत्म होते-होते चीन से कोविड-19 की वापसी की छिटपुट खबरें आईं, जिसने हमें यह चेताया कि खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है, लेकिन इसमें दो मत नहीं कि दो साल के अनुभव के बाद विश्व अब ऐसी किसी भी महामारी से निपटने के लिए बेहतर स्थिति में है।
कोरोना से हमें यह भी लगा कि दुनिया भर में लोगों और देशों की प्राथमिकताएं बदलेंगी और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत जरूरतों पर अधिक से अधिक काम होंगे। लेकिन, रूस और यूक्रेन की लड़ाई से लगा कि हम अब भी बीसवीं सदी की उस मानसिकता से ग्रस्त हैं जिसके कारण युद्ध हर मसले को सुलझाने का एकमात्र विकल्प बना था। इस युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को चरमरा कर रख दिया। ऐसे समय में जब कोरोना के कारण सुन्न पड़ी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने की आवश्यकता थी, इस लड़ाई ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। आज पूरा विश्व आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। पाश्चात्य देशों में यह संकट और भी गहरा है, जहां बड़ी संख्या में रोजगार छीने जा रहे हैं। अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों में चल रही व्यापक छंटनी 2008 जैसी वैश्विक मंदी का संकेत दे रही है।