मेरे पिता : ‘बोगड़ पहलवान’ का खानदान
तीन पीढ़ियों से कुश्ती हमारे खून में बसती है। 40 साल तक गांव बलाली के नंबरदार रहे मेरे पिता चौधरी मान सिंह फोगाट अपने समय के अच्छे पहलवान थे, जिन्हें लोग ‘बोगड़ पहलवान’ नाम से जानते थे। हरियाणवी में यह उपमा बहुत ताकतवर व्यक्ति को दी जाती है। मेरे पिताजी का मुकाबला ओलिंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले लीला राम जैसे नामी-गिरामी पहलवान से होता था। पेशेवर पहलवान होने का मकसद सेना या पुलिस में भर्ती होने पर पूरा हो जाता। सेना में भर्ती के बाद लीला राम की पहलवानी भी रुक गई और मेरे पिता जी गांव से आगे अपने जौहर को नहीं ले जा पाए। पर उन्होंने मुझे दिल्ली के सिविल लाइंस में स्थित मास्टर चंदगीराम अखाड़े में इस मकसद से उतारा कि इससे मुझे सरकारी नौकरी मिल जाएगी।