मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम एवं महादेव के जीवन प्रसंगों से युवा पीढ़ी प्रेरणा ले – आचार्य लोकेशजी
स्वामी अवधेशानन्दजी, स्वामी रामदेवजी, आचार्य लोकेशजी, युवाचार्य अभयदासजी ने भीनमाल में महादेव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में हिस्सा लिया .
योग, अध्यात्म व धर्म के माध्यम से मानव जीवन का उद्धार – स्वामी रामदेव
धर्म के मार्ग से ही मनुष्य जीवन को साकार करना संभव – महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी
नई दिल्ली/ राजस्थान : भीनमाल शहर में जुंजाणी रोड पर स्थित 1200 वर्ष पुराने नीलकंठ महादेव मंदिर में नवनिर्मित प्रांगण एवं मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी, योग ऋषि स्वामी रामदेवजी, जैन आचार्य डॉ लोकेशजी, युवाचार्य अभयदासजी सहित धर्माचार्यों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनो के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया।
विश्व शांतिदूत आचार्य डॉ लोकेशजी ने भगवान श्रीराम कथा एवं नीलकंठ महादेव मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में संबोधित करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम एवं नीलकंठ महादेव के जीवन प्रसंगों एवं आदर्शों से प्रेरणा लें। उन्होने कहा कि मंदिर भारतीय संस्कृति एवं धरोहर की पहचान है, हमारे भारत देश में ऐसे कई धार्मिक स्थान है जो विश्व भर में भारत की पहचान को उजागर करते हैं उसमे 72 जिनालय के शहर भीनमाल का नाम भी गौरव से लिया जा सकता है। उन्होने राव परिवार द्वारा नीलकंठ महादेव के प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार कर प्राण प्रतिष्ठा के भव्य कार्यक्रम की सराहना की।
योग ऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि भगवान शिव की कथाओं के अनुसार मनुष्य अपनी सीमाओं से परे जा कर, अपनी अधिकतम संभावना तक पहुँच सकते हैं। भगवान शिव ने व्यक्तिगत रूपांतरण के साधन दिए क्योंकि यही संसार के रूपांतरण का एकमात्र उपाय है। उन्होने कहा कि योग, अध्यात्म व धर्म के माध्यम से मानव चेतना को उजागर किया जा सकता है एवं मानव जीवन का उद्धार संभव है। मानव चेतना को ऊपर उठाने के लिए, व्यक्तिगत स्तर पर मनुष्य में बदलाव लाने के लिए योग से बड़ा कोई साधन नहीं है।
जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी महाराज ने इस अवसर पर संबोधित हुए कहा कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया था। इसलिए उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था। अत्यन्त प्रभावशाली यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, शिव महा कल्याण कारी है, शिव के स्मरण मात्र से ही सब दुख दूर हो जाते है। वो तो भोले नाथ है, जहां वो एक ओर महायोगी भी है। उन्होने कहा कि अपने धर्म का सभी को एकजुटता से पालन करना चाहिए, धर्म के मार्ग से ही मनुष्य जीवन को साकार किया जा सकता है।
युवाचार्य अभयदासजी ने कहा कि भगवान शिव का मंत्र है “ऊँ नमः शिवाय”। कहा जाता है यह मंत्र पृथ्वी की सम्पूर्ण शक्ति इसी पंचाक्षर मंत्र में ही समाहित है। उन्होने कहा कि हमें अपनी पहचान को बरकरार रखने में कभी संकोच नहीं करना। हर व्यक्ति का धर्म, उसके जीवन का सार होना चाहिए।
इस अवसर पर, प्रख्यात कथावाचक श्री मुरलीधर जी महाराज द्वारा 10 दिवसीय कथा का आनंद उपस्थित सभी लोग ले रहे है जिसे सुनकर हर व्यक्ति भगवान श्रीराम के भक्ति भाव में डूब जाते है ।
सधन्यवाद
कर्ण कपूर, कार्यालय सचिव,
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