भारतीय आर्थिक चिंतन के सहारे मुद्रा स्फीति शीघ्र ही नियंत्रण में लाई जा सकती है

नई दिल्ली

लगातार बढ़ रही मुद्रा स्फीति की परेशानी पूरा विश्व ही महसूस कर रहा है। परंतु, भारत ने अपने आर्थिक चिंतन के सहारे मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने में सबसे पहिले सफलता हासिल कर ली है। दिसम्बर 2022 माह में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति की दर पिछले 12 माह के न्यूनतम स्तर 5.72 प्रतिशत पर आ गई है। यह मुख्य रूप से सब्जियों की दरों में आई कमी के चलते सम्भव हो सका है। सब्जियों की महंगाई दर 15.08 प्रतिशत से कम हुई है एवं फलों की महंगाई दर केवल 2 प्रतिशत से बढ़ी है, तेल एवं शक्कर की महंगाई दर लगभग शून्य रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों में महंगाई दर दिसम्बर 2022 में 4.19 प्रतिशत की रही है जो नवम्बर 2022 माह में 4.67 प्रतिशत थी एवं दिसम्बर 2021 में 4.05 प्रतिशत थी। दरअसल भारत का कृषक अब जागरूक हो गया है एवं पदार्थों की मांग के अनुसार नई तकनीकी का उपयोग करते हुए उत्पादन करने लगा है। आवश्यकता अनुसार पदार्थों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है, इससे उन पदार्थों की आपूर्ति बाजार में बढ़ रही है एवं इस प्रकार मुद्रा स्फीति पर अंकुश लग रहा है। सब्जियों के अलावा अन्य खाद्य पदार्थों में भी महंगाई दर दिसम्बर 2022 माह में कम हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में महंगाई अधिक तेजी से कम हुई है। दिसम्बर 2022 माह में जहां ग्रामीण इलाकों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 6.1 प्रतिशत की रही है वहीं शहरी इलाकों में यह घटकर 5.4 प्रतिशत हो गई है। भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रा स्फीति की दर लगातार दूसरे महीने 6 प्रतिशत के नीचे रही है। नवम्बर 2022 माह में यह 5.88 प्रतिशत थी।

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